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संक्षिप्त जीवन परिचय

डॉ. मंगल सेन

डॉ. मंगल सेन का जन्म 1927 में हुआ , वह 1977 से 1979 तक हरियाणा के उपमुख्यमंत्री रहे । डॉ. मंगल सेन भारतीय जनता पार्टी का मजबूत आधार रहे हैं। डॉ. सेन बचपन से ही आरएसएस से जुड़ गए थे। लोगों में डॉ. मंगल सेन की लोकप्रियता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि वे लगातार सात बार रोहतक से भाजपा विधायक चुने गए। सत्ता में रहने के बावजूद वे विलासिता से कोसों दूर रहे। उन्होंने कहा कि निधन तक डॉ. मंगलसेन के पास कोई संपत्ति नहीं थी। वह पूरा समय रोहतक में किराये के मकान में ही रहे। कार्यकर्ताओं को संभालना डॉ. सेन की प्राथमिकता रही। उनकी मजबूत व्यक्ति के रूप में पहचान थी। हरियाणा की राजनीति के भीष्म पितामह कहे जाने वाले डाॅ. मंगल सैन ने सदा स्वच्छ राजनीति को बढ़ावा दिया। वे जनसंघ से जुड़े रहे। हिंदुत्व, राष्ट्रवाद व भारतीय संस्कृति के वे सजग प्रहरी थे। आरंभ से ही उनके व्यक्तित्व में आत्मविश्वास, निर्भीकता और सत्यनिष्टा ऐसे कूट-कूट कर भरी हुई थी कि किसी भी परिस्थिति में वे अपने सिद्धांतों से विचलित नहीं होते थे।

लोगों के दुखों को जानने और उनके सुख-दुख में शामिल होने के लिए वह स्कूटर पर ही निकल जाते थे। एक सामान्य गरीब परिवार में जन्म लेने और कई संकटों को पार कर उन्होंने अपने राजनैतिक जीवन की यात्रा जनसंघ कार्यकर्ता के रूप में शुरू की। यह उनके व्यक्तित्व का प्रभाव ही कहा जाएगा कि चौधरी देवीलाल की पार्टी के साथ समझौते के बाद हुए चुनाव में गठबंधन ने हरियाणा की 90 में से 85 सीट जीतकर सरकार बनाई और वह उस सरकार में प्रदेश के उपमुख्यमंत्री बने। राज्य में यह दायित्व निभाने वाले वह पहले व्यक्ति थे। डाॅ. सैन ने कई बड़े शिक्षण संस्थान स्थापित करने में अहम भूमिका निभाई। चाहे वह रोहतक का लालनाथ काॅलेज हो या मेडिकल काॅलेज, इन संस्थानों की स्थापना में उनका अहम योगदान रहा। उन्होंने आजीवन अविवाहित रहते हुए समाज के उत्थान के लिए कार्य किया। उन्होंने कहा कि डा. सैन रोहतक की जनता के मन में बस चुके थे। पहली बार जब उन्होंने उनके दर्शन एक जनसभा में किए थे। एक जन नेता के रूप में उन्होंने नौ में से सात बार चुनाव में जीत दर्ज की। वह दो बार भी बहुत ही मामूली अंतर से चुनाव जीतने से रह गये। उनका जीवन लोगों के लिए प्रेरणादायी है।